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Wednesday, October 19, 2011

5 lakh more teachers required in coming years - expectation

आगामी कुछ वर्षों दोरान पांच लाख टीचरों की भर्ती होने की सम्भावना है

पिछले पांच वर्ष बेंकिंग   कैरिइएर की सर्वाधिक भर्ती के  थे, उससे पिछले दस वर्षों के दोरान आइ  टी / कम्प्यूटर का बोल बाला  था और आगामी पांच वर्षों के दोरान शिक्षा  क्षेत्र  / टीचरों की नोकरियों का बोलबाला रहेगा , अभी इसी साल बिहार में एक लाख , उत्तर प्रदेश में अस्सी हज़ार , मध्य  प्रदेश में एक लाख, गुजरात में पैंतीस हज़ार , दिल्ली  में बीस हज़ार इत्यादि टीचरों की भर्ती होने होने जा रही  है


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आज जहां देश की आबादी 150 करोड़ के लगभग है, वहीं देश के भविष्य, बच्चों को शिक्षित करने के लिए स्कूल कॉलेजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में शिक्षकों की मांग में इजाफा होना लाजिमी है। मौजूदा समय में न सिर्फ उनकी मांग बढ़ रही है, बल्कि ऐसे में स्पेशलाइज्ड टीचर्स और उनके वेतनों में भी खूब बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। छठे वेतन आयोग से पहले एक टीजीटी का मासिक वेतन 20 हजार रुपये था, वहीं आयोग की सिफारिशों के बाद यह वेतन 29 हजार रुपये मासिक तक हो गया है। स्पेशलाइज्ड टीचर्स की मांग और वेतन में हुई वृद्धि, दोनों का ही नतीजा है कि युवा एक बार फिर इस ओर आकर्षित हुए हैं।


शिक्षण में विकल्प

नर्सरी स्कूल, प्राइमरी स्कूल: नर्सरी या प्राइमरी स्कूल के टीचर्स की जिम्मेदारी काफी अधिक होती है, क्योंकि यही वह समय है, जब छात्र सीखने का अपना दौर शुरू करते हैं। नर्सरी स्कूल टीचर 3 से 5 वर्ष के बच्चों व प्राइमरी स्कूल टीचर 6 से 12 वर्ष तक के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं।

सेकंडरी स्कूल: सेकंडरी स्कूल टीचर्स 8वीं से 12वीं तक के छात्रों को एक खास विषय के लिए पढ़ाते हैं, जिसमें उन्होंने स्पेशलाइजेशन की हो। एक बात ध्यान देने योग्य है कि अब केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाने के लिए सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा कई राज्य भी स्टेल लेवल पर टीचिंग एजुकेशन टेस्ट को अनिवार्य बना चुके हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में बीएड के बाद इस टेस्ट को पास करना हर अध्यापक के लिए अनिवार्य हो जाएगा।

कॉलेज, विश्वविद्यालय: कॉलेज या विश्वविद्यालयों में शिक्षण का कार्य लेक्चरर या प्रोफेसर करते हैं। सेकंडरी स्कूल की ही तरह वे भी अपने स्पेशलाइज्ड विषय में छात्रों को पढ़ाते हैं। जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाले आगे भविष्य में कॉलेज के प्रिंसिपल या प्रबंधन स्तर पर उप-कुलपति तक भी तरक्की कर सकते हैं। 

निजी संस्थान: स्कूल या कॉलेजों के ही शिक्षकों की तरह निजी संस्थान भी शिक्षकों की नियुक्ति बड़े स्तर पर करते हैं। आज सरकारी स्कूल और कॉलेजों के मुकाबले निजी संस्थान तेजी से शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। नियुक्ति के लिए इनके मानक लगभग सरकारी नियुक्तियों की योग्यताओं के समान ही हैं।

कोचिंग: शिक्षण के लिहाज से कोचिंग भी एक बेहतर विकल्प है। आप किसी संस्थान के साथ भी जुड़ सकते हैं और अगर आप ऐसा नहीं चाहते तो आप अपना स्वयं का कोचिंग इंस्टीटय़ूट खोल सकते हैं।

स्पेशल स्कूल्स: शिक्षण के क्षेत्र में सबसे अधिक जिम्मेदारी वाला काम होता है स्पेशल स्कूल के टीचर का, जो मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों को उनके जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। ये शिक्षक बच्चों के अभिभावकों के साथ-साथ डॉक्टर्स, स्पीच थैरेपिस्ट, फिजियोथैरेपिस्ट आदि से संबंध बनाए हुए शिक्षण कार्य करते हैं।

शैक्षिक अनुसंधान संस्थान: शिक्षक चाहें तो पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से बाहर निकल कर अनुसंधान कार्य में भी अपना भविष्य बना सकते हैं। कई ऐसे सरकारी व गैर-सरकारी संस्थान हैं, जो भविष्य की शिक्षा प्रणाली को लेकर कई अनुसंधान आयोजित करते हैं। शिक्षक इन अनुसंधानों में अपना योगदान दे सकते हैं।

कितने अध्यापकों की है जरूरत

एजुकेशन एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगले दस साल में विश्व एजुकेशन इंडस्ट्री को तकरीबन 2.2 से 2.4 मिलियन अध्यापकों की आवश्यकता पड़ेगी। अगर देश में अध्यापकों की कमी का आकलन किया जाए तो मानव संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार लगभग पांच लाख टीचरों की और आवश्यकता पड़ेगी। अगले दो-तीन साल में लगभग चार लाख वर्तमान टीचर रिटायर हो रहे हैं, उनके स्थान पर भी भर्ती होगी। लगभग पांच लाख ऐसे टीचर ऐसे भी हैं, जो सरकारी स्कूलों में कॉन्ट्रक्ट के आधार पर काम कर रहे हैं। इन्हें या तो रेगुलर करना होगा या फिर इनकी जगह अन्य टीचरों की भर्ती करनी होगी। केंद्रीय विद्यालयों, राज्य के स्कूलों, आईआईटीज, कॉलेजों और एनआईटी आदि में लगभग 25 से 35 प्रतिशत अध्यापकों की कमी है, जिनकी भरपाई जरूरी है। मोटे तौर पर आने वाले कुछ वर्षो में देश में लगभग 15 लाख टीचिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी।

विश्व परिदृश्य पर देखा जाए तो भारतीय अध्यापकों की अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और गल्फ देशों में भारी मांग है। अमेरिका में लगभग सात लाख अध्यापकों की कमी है, जहां इंग्लिश में पारंगत भारतीय टीचर्स को प्रमुखता मिल सकती है। इसी तरह ब्रिटेन में आज सात हजार अध्यापकों की कमी है, जो आने वाले सालों में चालीस हजार का आंकड़ा पार कर जाएगा। चीन में अन्य विषयों के साथ हिन्दी अध्यापकों की मांग लगातार बढ़ रही है। कहना न होगा कि भारतीय अध्यापकों को देश में ही नहीं, विदेश में भी जॉब के भारी अवसर आने वाले कुछ सालों में उपलब्ध होंगे।

फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान


कॉलेज ऑफ एजुकेशन, डीयू
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली
सेंट्रल इंस्टीटय़ूट ऑफ एजुकेशन, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर
पटना विश्वविद्यालय, पटना
रांची विश्वविद्यालय, रांची
डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, इंदौर
जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
देव समाज कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वुमन, चंडीगढ़
स्टेट इंस्टीटय़ूट ऑफ एजुकेशन, चंडीगढ़
अध्यापक विद्यालय जूनियर कॉलेज ऑफ एजुकेशन, मुंबई
कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, मुंबई
डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डीआईईटी), पुणे

कोर्स 
मास्टर्स इन एजुकेशन
बेचलर्स इन एजुकेशन
डिप्लोमा इन एजुकेशन
नर्सरी टीचर ट्रेनिंग
प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग 
जूनियर बेसिक ट्रेनिंग

योग्यता
नर्सरी व प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग के लिए कम से कम बारहवीं पास, बीएड के लिए स्नातक, एमएड के लिए स्नातक व बीएड, डिप्लोमा इन स्पेशल एजुकेशन के लिए कम से कम बारहवीं पास व लेक्चरर के लिए स्नातकोत्तर 55 प्रतिशत अंकों के साथ व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (एनईटी) पास करना अनिवार्य है।

वेतन: मासिक

एनटीटी व पीटीटी: 10 से 22 हजार रुपये से शुरुआत
टीजीटी: 20 हजार रुपये से 29 हजार रुपये से शुरुआत
पीजीटी: 25 से 32 हजार रुपये से शुरुआत
लेक्चरर: 35 से 38 हजार रुपये से शुरुआत

प्राइवेट इस्टीटय़ूट में लेक्चरर के पद के समतुल्य टीचर का वेतन 40 हजार रुपये से शुरू होता है। वहीं कुछ वर्षो के शिक्षण व व्यावहारिक अनुभव के साथ वेतन 1 लाख रुपये मासिक से अधिक तक हो सकता है।

एक्सपर्ट व्यू्
टीचिंग है फुल डे जॉब
डॉ. संदीप कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, सेंट्रल इंस्टीटय़ूट ऑफ एजुकेशन, दिल्ली विश्वविद्यालय


आज टीचर कान पकड़ कर याद कराने वाला नहीं, बल्कि मदद करने या गाइड करने वाला व्यक्ति है। यह भी एक बड़ी वजह है कि युवा टीचिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

टीचिंग आज एक फुल टाइम या कहें फुल डे जॉब है। टीचर्स खुद को अपग्रेड करने के लिए आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं, यहां तक कि वे स्कूल टीचर से अपग्रेड होते-होते लेक्चरर भी बन रहे हैं।

टीचर या शिक्षक बनने के अलावा भी आज टीचर एजुकेशन में काफी स्कोप है। जो भी टीचर बीएड करने के बाद एमएड करने के इच्छुक हैं, उनके लिए यहां काफी संभावनाएं हैं। वे कॉलेज में भी पढ़ा सकते हैं।

वैसे हमारे यहां कई एक्शन रिसर्च प्रोजेक्ट्स होते हैं, जिन्हें दूसरे संस्थान फंड मुहैया कराते हैं। हमारे यहां अभी कुछ ही शिक्षक हैं, जिन्हें इस बारे में पता है। अगर वे थोड़ा-बहुत भी इस तरफ ध्यान दें तो निश्चित तौर पर वे और तरक्की कर सकते हैं। टीचर्स के लिए सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत संभावनाएं हैं। इंटरचेंज प्रोग्राम के तहत देश के शिक्षक दूसरे देशों में और दूसरे देशों के शिक्षक हमारे देश में पढ़ाने आते हैं। इससे हमारे शिक्षक दूसरे देशों के एजुकेशन सिस्टम के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।

आज टीचर कान पकड़ कर याद कराने वाले नहीं रहे, बल्कि वे मदद करने वाले या गाइड करने वाले हैं। यह भी एक बड़ी वजह है कि युवा टीचिंग की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। आज शिक्षा खुद में एक बहुत बड़ा उद्योग है, जिसके चलते शिक्षकों का वेतन काफी बढ़ गया है। पहले जहां एक सरकारी स्कूल के टीजीटी को 20 हजार रुपये तक मासिक मिलता था, वहीं अब सरकारी स्कूल के उसी टीचर का वेतन 29 हजार रुपये इन-हैंड हो गया है। आर्थिक रूप से भी यह प्रोफेशन अब दूसरों से कम नहीं है।


News Source : http://livehindustan.com/home/detailpage.php?menuvalue=45&pagevalue=&storyvalue=189047&categoryvalue=50&SubCat=
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