टीईटी उत्तर प्रदेश (TET - Teacher Eligibility Test -Examination Uttar pradesh)
पत्राचार बीटीसी को टीईटी में शामिल करने का प्रस्ताव खारिज
फर्रुखाबाद: सरकार ने पत्राचार बीटीसी वालों को टीईटी में शामिल करने संबंधी बेसिक शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य कर दिया है।
मंगलवार को संशोधित शासनादेश जारी करते हुए स्पष्ट किया गया है कि 1997 से पूर्व मोअल्लिम करने वाले या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डिप्लोमा इन टीचिंग करने वालों को टीईटी में शामिल होने के लिए पात्र माना जाएगा। वहीं, मोअल्लिम उपाधिधारकों ने इस पर आपत्ति की है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूलों में पूर्व में उर्दू शिक्षक रखने की व्यवस्था थी। 1994-95 में प्राइमरी स्कूलों में उर्दू शिक्षक रखे गए।
इसके लिए मोअल्लिम-ए-उर्दू अथवा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डिप्लोमा इन टीचिंग उपाधिधारकों को इसके लिए पात्र माना गया। इसके बाद होने वाली भर्ती से इन उपाधिधारकों को अपात्र मान लिया गया। इन उपाधिधारकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और फैसला उनके पक्ष में हुआ। राज्य सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल कर दिया था।
राज्य सरकार ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने का निर्णय किया है। इसके बाद शासन स्तर पर तय किया गया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किए जाने के बाद टीईटी पास करने वाले ही शिक्षक बनाए जा सकते हैं, इसलिए मोअल्लिम वालों के लिए भी इसे अनिवार्य कर दिया गया है। प्राइमरी स्कूलों में मौजूदा समय 3250 सहायक अध्यापकों के पद रिक्त हैं।
राज्य सरकार ने पत्राचार बीटीसी वालों को टीईटी में शामिल करने संबंधी बेसिक शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। पत्राचार बीटीसी करने वालों पर फैसला बाद में लिया जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 1994 से पूर्व पत्राचार बीटीसी को मान्यता थी। पत्राचार बीटीसी करने वालों को शिक्षक बनाया गया है। इसलिए कोर्स करने वाले शिक्षक बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। इसीलिए बेसिक शिक्षा निदेशालय ने यह प्रस्ताव भेजा था कि पत्राचार बीटीसी वालों के लिए भी टीईटी में शामिल कर लिया लाए, लेकिन इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है।
source: जेएनआई-डेस्क